डेंगू के मरीज ज्यादा होते हैं आईसीयू में भर्ती

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– सरगंगाराम अस्पताल ने देशभर के 34 आईसीयू में भर्ती 456 मरीजों पर किया अध्ययन
– अगस्त के अक्टूबर महीने का आंकड़ा किया गया जारी
नई दिल्ली
अगस्त से अक्टूबर तक का समय बीमारियों का समय माना जाता है, जिसमें वेक्टर बॉर्न डिसीस या मच्छर जनित बीमारियों के साथ ही संक्रामक बुखार के मरीज भी अधिक देखे जाते हैं। डेंगू, स्क्रब थॉयपस, मलेरिया और चिकुनगुनिया के इस सीजन में सबसे अधिक आईसीयू में डेंगू के मरीज भर्ती होते हैं।
सीएमसी वेल्लोर, चंडीगढ़ पीजीआईएमईआर, संजीवनी अस्पताल अहमदाबाद, एपेक्स अस्पताल भोपाल, रोहतक और जयपुर के प्रमुख अस्पतालों के साथ मिलकर किए गए अध्ययन के अनुसार बीमारियों के सीजन में 105.23 प्रतिशत डेंगू, 83.18 प्रतिशत स्क्रब थायपस, 44.96 इंसेफेलाइटिस, 37.8 प्रतिशत मलेरिया और 32.7 प्रतिशत सेप्सिस के मरीजों को भर्ती किया गया। जुलाई 2013 से सितंबर 2014 के बीच किए गए अध्ययन को जर्नल ऑफ क्रिटिकल मेडिसन के दिसंबर 2017 के अंक में प्रकाशित किया गया है।
सरगंगाराम अस्पताल के क्रिटिकल केयर मेडिसन विभाग के प्रमुख डॉ. प्रकाश शास्त्री ने बताया कि उष्णकटीबंधीय बुखार या ट्रापिकल फीवर वायरस, बैक्टीरिया और प्रोटोजोआ की वजह से होते हैं। जो अधिकतर मच्छरों के काटने की वजह से मानव शरीर में आसानी से प्रवेश कर जाते हैं। एशियाई देशों में होने वाले इस तरह के बुखार में डेंगू, चिकुनगुनिया, मलेरिया, स्क्रब थायपस या फिर जैपनीज इंसेफेलाइटिस आदि को माना जाता है। इन सभी तरह के बुखार की सही समय पर जांच बेहद जरूरी है। देर से जांच होने पर परेशानी बढ़ जाती है, जिसकी वजह से इलाज पर खर्च भी बढ़ता है, इसी बावत राष्ट्रीय स्तर पर इस बात का अध्ययन किया गया कि बीमारी के इलाज और जांच के साथ ही कितने प्रतिशत मरीजों को बुखार के समय आईसीयू की जरूरत होती है। चंडीगढ़ पीजीआई के डॉ. सुनीत सिंघी ने बताया कि डेंगू और स्क्रब थायपस के 17 प्रतिशत मरीजों में एक जैसे लक्षण देखे गए। अध्ययन के जरिए उष्णकटीबंधीय या सीजनल बुखार की सही समय पर जांच पर जोर दिया गया। यह भी देखा गया कि देर में जांच होने या बीमारी बढ़ने पर इन बुखार के मरीजों का आईसीयू पर दवाब अधिक देखा गया। देखा गया कि प्रत्येक पांच में एक आईसीयू को इन मरीजों के लिए आरक्षित किया गया। पीजीआईएमएस रोहतक के डॉ. टीडी चुग ने बताया कि साधारणत: मलेरिया, स्क्रब थायपस, डेंगू और चिकुनगुनिया जैसे बुखार में सही समय पर जांच न होने पर इसका असर अन्य अंगों पर भी हुआ, जिसकी वजह से मरीज को आईसीयू में भर्ती करने की जरूरत हुई।

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